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द गर्ल इन रूम 105

अध्याय 27

"डियर फ्रेंड्स, हम आज यहां पर शांति की तलाश में इकट्ठा हुए हैं। जो कुछ हुआ है, उसे शांत मन से स्वीकार करने के लिए। मेरे अपने अमन के लिए, इसके बावजूद कि मैं अपनी बेटी को हर पल याद करता हूँ। मैं अपने भीतर इतनी शांति चाहता हूं कि मुझे गुस्सा ना आए और हमेशा सवाल ही ना पूछता रहूं। मुझे इतना चैन चाहिए कि ख़ुदा की मर्जी पर भरोसा कर सकूं, सफ़दर ने प्रेयर मीट को संबोधित करते हुए कहा ।

लोग फर्श पर आधा गोल घेरा बनाए बैठे थे, महिलाएं और पुरुष अलग-अलग उनके सामने ज़ारा की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरों का एक कोलाज था। कार्यक्रम के लिए लगभग 40 मेहमान आए थे। इनमें से अधिकतर जारा के नाते-रिश्तेदार थे। ये लोग ज़ैनब और सफ़दर की बूढ़ी मां के साथ फर्श पर बैठे थे।

रघु मुझसे तीन आदमी छोड़कर बैठा था, जबकि सौरभ मेरे पास बैठा था। मुझे ज़ारा की कुछ हॉस्टल फ्रेंड्स

भी वहां नज़र आईं। सफ़दर के बाद जारा की हॉस्टल-फ्रेंड सनम बोली।

'रूम नंबर 105 आज भी उसी का है। ऐसा लगता है, जैसे जारा किसी भी पल उससे बाहर निकलकर आएगी। मैं हिमाद्रि के लॉन्स में उसे ढूंढ़ती रहती हूं, जहां वो अपनी किताबें लिए बैठी रहती थी,' सनम ने भावुक होते हुए कहा।

मैंने समय देखा। साढ़े पांच बज चुके थे और फ़ैज़ अभी तक नहीं आया था। सफ़दर ने कैप्टन को कार्ड भेजने के साथ ही पर्सनली कॉल करके भी न्योता दिया था। फेज़ ने भी आने की रजामंदी दे दी थी। जहां तक मेरी

जानकारी थी, सफ़दर ने फ़ैज़ को एयरपोर्ट से पिकअप करने के लिए एक कार भिजवाई थी। वे नहीं चाहते थे कि

वो पहले अपने अर्जुन बिहार वाले घर जाए और वहां का नजारा देख ले।

'वेस्टएंड ग्रीन्स एयरपोर्ट के बहुत पास है। तुम सीधे हमारे यहां ही चले आओ। जब सलमा और बच्चे दुबई में

हैं तो घर जाकर भी क्या करोगे?' सफ़दर ने फोन पर फ़ैज़ से कहा था। मैंने अपने फोन पर श्रीनगर-दिल्ली फ़्लाइट का स्टेटस चेक किया। फ़ैज़ की फ़्लाइट लैंड कर चुकी थी।

'अगर वो नहीं आया तो?" सौरभ ने मेरे कानों में कहा।

मैंने उसे शांत रहने का इशारा किया। सनम के बाद सफदर ने रघु को बोलने के लिए बुलाया। जैसे ही रघु बोलने के लिए खड़ा हुआ, मैंने एक टोयोटा फॉर्च्यूनर को आते हुए देखा। फ़ैज़ यहां पहुंच चुका था।

जैसे ही फ़ैज़ ने अपने जुते निकाले और कमरे में प्रवेश किया, सौरभ ने राहत की सांस ली। फ़ैज़ ने हाथ जोड़कर सफ़दर और उनके परिवार का अभिवादन किया। "मैं क्या कह सकता हूं?" रघु ने कहा और चुप हो गया। फ़ैज़ को आते देखकर उसने अपना चश्मा एडजस्ट किया। फैज़ रघु को देखकर मुस्कराया। रघु ने धीमे से सिर हिलाकर जवाब दिया। वो अपनी बात कहने लगा -'मैं कहना चाहता है कि अगर दुनिया में कोई है, जिसे उसके जाने का सबसे गहरा अहसास है तो वो मैं हूँ। जब

आप किसी के साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताने का तय करते हैं, और वो शख्स हमेशा के लिए आपको छोड़कर चला जाए, तो आप अपनी इस बची हुई पूरी जिंदगी का क्या कर सकते हैं?" फैज़ पुरुषों की जगह पर कोने में एक कुर्सी लेकर बैठ गया। रघु बोलता रहा। फैन ने अपना फोन निकाला और मैसेजिस वेक करने लगा।

'मैं भीतर से टूट गया हूँ। मैं खुद को संभालने की कोशिश करता हूं। मैंने अपने आपको काम में खपा दिया है, ताकि मुझे सोचने का समय ना मिले। लेकिन मैं जानता हूं कि इन हालात से गुज़रने वाला में अकेला नहीं हूँ। आप सभी लोग, ज़ारा के पैरेंट्स, उसकी दादी, उसके दोस्त... आपकी तुलना में मैं अपने दुख को सबसे बड़ा कैसे बता

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